कल्याण विभाग में सवा नौ करोड़ का महा घोटाला उजागर, जांच में हुआ खुलासा, दो डिडब्ल्यूओ समेत 19 के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज
चतरा:-कल्याण विभाग में महा घोटाला उजागर हुआ है। विभाग के दो जिला कल्याण पदाधिकारियों ने नाजिर के मिली भगत से जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को ले विभाग को आवंटित 9 करोड़ 33 लाख रुपये की सरकारी राशि का बंदरबांट किया है। मामले का खुलासा उपायुक्त जितेंद्र सिंह द्वारा गठित जांच दल के जांच रिपोर्ट से हुआ है। समाहरणालय स्थित कार्यालय कक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में डीसी ने बताया कि विभाग द्वारा जिला कल्याण को आवंटित छात्रवृत्ति व भवन निर्माण समेत अन्य कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को ले निर्गत राशि का फर्जी चेक व अकाउंट के माध्यम से घोटाला किया गया है। डीसी ने बताया कि जिला कल्याण पदाधिकारी भोलानाथ लागुरी व आशुतोष कुमार ने अपने-अपने कार्यकाल मे विभाग के नाजिर इंद्रदेव प्रसाद से साठ-गाठ कर फर्जी शिक्षण संस्थानों व एजेंसियों के नाम पर चेक के माध्यम से राशि का भुगतान अवैध तरीके से कर योजना में घोटाला किया है। सबसे मजे की बात तो यह है कि अधिकारियों ने नाजिर के मिली भगत से जिस अकाउंट को कार्य एजेंसी और शिक्षण संस्थान बताकर पेमेंट किया है। उनमें से ज्यादातर वैसे एनजीओ व एजेंसी के अलावे संस्थान शामिल है जो अस्तित्व में है ही नहीं। हां उन संस्थाओं के नाम के साथ अंकित अकाउंट नम्बर जरूर ओरिजिनल है। उपायुक्त ने बताया कि अधिकारियों व नाजिर द्वारा जिस एजेंसी व एनजीओ के नाम पर चेक निर्गत कर खाता में राशि का भुगतान किया गया है वो बैंक खाता नाजिर की पत्नी व परिजनों के अलावे खुद नाजिर के नाम से है। इतना ही नहीं कुछ ऐसे भी एनजीओ व एजेंसी को भुगतना किया गया है जिनका दूर-दूर तक कल्याण विभाग से रिस्ता-नाता नहीं है। डीसी ने पत्रकारों को बताया कि ज्यादातर फर्जी भुगतान जिला कल्याण पदाधिकारी आशुतोष कुमार के एक साल के कार्यकाल के दौरान किया गया है। उन्होंने करीब साढ़े छह करोड़ का फर्जी भुगतान किया है। जबकि करीब पौने तीन करोड़ का भुगतान जिला कल्याण पदाधिकारी भोलानाथ लागुरी के कार्यकाल के दौरान हुआ है। सबसे मजे की बात तो यह है कि कल्याण पदाधिकारियों को मामले की जानकारी होने के बाद भी उनके द्वारा नाजिर के विरुद्ध कोई कठोर कार्रवाई नहीं किया गया। दो डिबल्यूओ समेत 19 के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज जांच कमेटी के द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में घोटाले की पुष्टि होने के बाद डीसी के निर्देश पर जिला कल्याण पदाधिकारी साधना जयपुरियार ने सदर थाना में पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी आशुतोष कुमार, भोलानाथ लागुरी, नाजिर इंद्रदेव प्रसाद, प्रधान सहायक काशी प्रसाद गुप्ता समेत नाजिर की पत्नी, पुत्री, पुत्र समेत फर्जी भुगतान प्राप्त करने वाले कुल 19 एजेंसियों व एनजीओ के संचालकों समेत कर्मियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता पीसी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दर्ज प्राथमिकी में डिडब्ल्यूओ ने सभी पर गलत तरीके से सरकारी राशि का भुगतान कर बंदरबांट करने का आरोप लगाया है। अगलगी कांड में भी संलिप्ता का संकेत विकास भवन स्थित कल्याण विभाग में अगलगी कांड में भी इन अधिकारियों व कर्मियों की संलिप्तता का संकेत उपायुक्त ने दिया है। डीसी ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जिस प्रकार महज दो साल के कार्यकाल की जांच में बड़े पैमाने पर घोटाला उजागर हुआ है उससे तो यह स्पष्ट होता है कि घोटालेबाजों द्वारा साक्ष्यों को छुपाने के नियत से योजनाबद्ध तरीके से विकास भवन स्थित कार्यालय कक्ष में आग लगाई या लगवाई गई होगी। क्यूंकि जांच में यह सामने आया है कि राशि के बंदरबांट में जिस चेक का प्रयोग किया गया है वह आगजनी से पूर्व का है। जबकि आगलगी की घटना में कार्यालय का लगभग सभी सामान जलकर स्वाहा हो गया था। वहीं कुछ सामान बाख भिं गया था तो उस सूची में उपयोग में लाए गए चेक का जिक्र नहीं है। ऐसे में आगलगी के बाद जल चुके चेक का इस्तेमाल संदेह को मजबूती प्रदान करता है। .
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