चतरा:-जिले के अधिकांश गांवों में मनरेगा व भूमि सरक्षंण के द्वारा लाखो-करोड़ो की लागत से बनाया गया तालाबों में एक बूंद भी पानी नहीं है। क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बने तालाब मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं। लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी मवेशियों को है।
महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में वित्तीय वर्ष 2008 से लेकर अब तक जल संरक्षण के नाम पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी तालाब सूखे हैं। माह में जलाशयों में पानी नहीं है। मनरेगा शुरू होते ही सबसे पहले जल संरक्षण को दुरूस्त करने के लिए तालाबों के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। तालाबों की मरम्मत पर करोड़ों पानी की तरह बहा दिए गए। गर्मी में दूसरों की प्यास बुझाने के बजाय तालाब खुद प्यासे हैं।
सदर प्रखंड के सेसांग गांव के टोला मंगरदाह में सुखा तलाब |
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