करम की डाल का पूजा करती महिलाएं |
चतराः गुरुवार को भाद्र मास शुक्ल पक्ष के एकादशी को मनाये जाने वाले करमा पर्व का चारों ओर उल्लास छाया रहा। करमा पर्व को लेकर गुरुवार को शहर व प्रखंड मुख्यालयों का बाजार गुलजार रहे। पर्व को लेकर शहर के अलावे अविभिन्न प्रखंडों में जगह-जगह अखरा में करम डाली स्थापित की गई। जिसके बाद बहनों ने भाईयों की लंबी आयु के लिए पूजा अर्चना की। इससे पूर्व महिलाएं चैबीस घंटे का निर्जला उपवास रखीं। अखरा में कहीं पाहन तो कहीं पुजारी ने करमा पूजन संपन्न कराया। मौके पर करम-धरम की कथा भी सुनाई गई। पूजन के बाद महिलाएं पूरी रात करम डाल के समीप अखरा में झूमर खेलती रही। जिससे अखरा गुलजार बना रहा। करमा के गीत पर जहां लोग झूमते नजर आए, वहीं बच्चों में इसके प्रति खासा उत्साह देखा गया। स्थानीय कस्तूरबा स्कूल में आयोजित पर्व के बाबत कस्तूरबा स्कूल की छात्राओं ने कहा कि करम पर्व का अपना ही महत्व है। पर्व मुख्य रुप से भाई-बहन के अटूट प्रेम व प्राकृतिक संबंध पर केंद्रित है। मान्यता है कि भाई की सुख-समृद्धि के लिए बहन पूजन करती है। भादो माह की प्राकृतिक छटा इस उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि आंगन में भादो का कादो भर गया है और यह कादो तभी जमेगा जब आंगना में करम के सामने झूमर खेला जाएगा। पर्व को ले नौ दिन पूर्व जावा की बुआई की जाती है। इसके लिए नदी से बालू लाकर उसमें सात प्रकार के अन्न जिसमें धान, गेहूं, जौ, उरद, मकई एवं कुलथी शामिल है, उसे बोया जाता है। रविवार की सुबह पर्व का समापन होगा। जिसके बाद महिलाएं पारण करेंगी।
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