ऋण(पुरुषोत्तम जी के फेसबुक वॉल से)


एक बार मैं ऋण मांगने गया
उन्होंने कहा कि सबसे पहले अपनी पक्की नौकरी का कागज दिखाएं
मेरे पास पक्की नौकरी नहीं थी
मैं एक चाकर था
कभी ईंट ढोता
कभी कुदाल चलाने के लिए पकड़ लिया जाता

तब उन्होंने कहा कि आप अपने
या अपने पिता के नाम की जमीन के टुकड़े का
कागज ही ले आएं
लेकिन मेरे पूर्वज भूमिहीन थे
मुझे और मेरे पिता को
अपने पूर्वजों से विरासत में भूमिहीनता ही मिली थी
मैंने उन्हें यह सब सच-सच बतलाया

अगला सवाल उनका यह था कि घर में कितना सोना है
मैंने कहा कि नहीं है

इसके बाद जब वे चुप लगा गए
तब मैंने उनसे यह पूछा कि साहब सब पूछ लिए
क्या आप हमसे हमारी जरूरत नहीं पूछेंगे
हमारे इस सवाल पर उन्होंने कहा
कि हमारे सवालों में यह सवाल शामिल नहीं है
क्षमा कीजिये हम आपको आपकी जरूरत के आधार पर
ऋण नहीं दे सकते

निकलते हुए मैंने बहुत हल्के स्वर में यह कहा
कि जरूरत को आधार बनाकर देते
तो ऋण पर पहला अधिकार हमारा होता

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