*चतरा में फसल बीमा घोटाला......पार्ट-2*
*पैक्स अध्यक्ष का घिनौना खेल, मुर्दों के नाम पर खुद गटक ली फसम बीमा की राशि*
*पैक्स कोई और बीमा हुआ कहीं और का......अब कानून से खेल रहा सह-मात का खेल....?*
*घोटाले व सरकारी राशि गबन की विभागीय पुष्टि के बाद दर्ज प्राथमिकी में भी अधिकारियों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी, अब पुलिसिया कार्यशैली पर उठ रहे सवाल....?*
*मो.अरबाज, चतरा:* हिंदी सिनेमा का चर्चित डायलॉग "बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया" इन दिनों सूबे के अतिपिछड़े आकांक्षी जिलों में शुमार चतरा में चरितार्थ हो रहा है। इस डायलॉग को सदर प्रखंड अंतर्गत खरीक-रक्सी पैक्स के अध्यक्ष चंद्रदेव गोप ने सच कर दिखाया है। चंद रुपयों के खातिर इन्होंने न सिर्फ सरकारी नियम व कानून को ताक पर रखकर गरीब किसानों को मिलने वाली राशि का बंदरबांट करते हुए बड़े पैमाने पर घोटाला किया है बल्कि पैसे के लालच में मुर्दों से भी बेईमानी की है। फसल बीमा की राशि हड़पने के नियत से इन्होंने अपने कार्यकाल में न सिर्फ फर्जीवाड़ा कर फर्जी दस्तावेजों व हस्ताक्षर से मृत व्यक्तियों के नाम पर पैक्स में खाता खोला बल्कि उनके नाम से फसल बीमा कर उसकी राशि की भी अवैध निकासी कर ली। इतने में भी उनका पेट नहीं भरा तो उन्होंने पैक्स को ही खुला दरबार बना दिया। जहां न सिर्फ बड़े पैमाने पर फर्जी तरीके से फसल बीमा किया गया बल्कि पैक्स से बाहर के लोगों का भी बीमा कर क्लेम की राशि की निकासी कर ली गई।
*बीसीओ ने कराया था जालसाजी व घोटाले का प्राथमिकी दर्ज*
मामला वर्ष 2009-10 का है। उस दौरान सदर प्रखंड अंतर्गत खरीक-रक्सी पैक्स के तत्कालीन अध्यक्ष चंद्रदेव गोप पर बड़े पैमाने पर फसल बीमा की राशि का घोटाला करने का गंभीर आरोप लगा था। ऊंटा निवासी गोविंद राम दांगी के शिकायत पर लोकायुक्त ने मामले की जांचोपरांत घोटाला पकड़ा था। जिसके बाद लोकायुक्त के निर्देश पर ही तत्कालीन प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी चंद्रशेखर प्रसाद ने सदर थाना में पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप के विरुद्ध जालसाजी कर फर्जी खाता खोलकर फसल बीमा की राशि का अवैध निकासी करने व कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) लिमिटेड के नियमों की अनदेखी कर सरकारी राशि का घोटाला करने का प्राथमिकी दर्ज कराया था।
*मृत व्यक्ति के नाम पर लिया बीमा का क्लेम*
सदर थाना में दर्ज विभागीय प्राथमिकी में बीसीओ ने पैक्स अध्यक्ष पर मृत व्यक्ति के नाम पर जालसाजी कर फसल बीमा करने व उसका क्लेम लेने का आरोप लगाया था। एफआईआर में कहा गया था कि पैक्स अध्यक्ष के द्वारा नेपनी देवी के नाम पर फसल बीमा कर क्लेम लिया गया था। जबकि नेपनी की मौत पूर्व में ही हो चूकि थी। इससे स्पष्ट होता है कि पैक्स अध्यक्ष ने निजी स्वार्थ की पूर्ति एवं विभागीय निदेशों का उलंघन किया है।
*फर्जी खाता खोल लिया क्लेम*
विभागीय एफआईआर में यह भी दर्शाया गया है कि पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप ने वर्ष 2009-10 में अनिता देवी, मारियम बेगम, शोभी यादव, सरिता देवी, उदयनाथ महतो, विराज यादव, मनिया देवी, मुनिया देवी व दीपा देवी नामक फर्जी किसानों के नाम पर पैक्स में आवश्यक दस्तावेज लिए बगैर फर्जी तरीके से खाता खोल क्लेम की राशि का भुगतान व निकासी किया गया। वहीं बलवा देवी व शम्भू दांगी समेत दर्जनों किसानों के नाम पर दो-दो बार फसल बीमा कर क्लेम ले लिया गया।
*विभागीय जांचों में हो चूकि है घोटाले की पुष्टि*
दर्ज प्राथमिकी में बीसीओ ने घोटाले को ले लोकायुक्त के निर्देश पर हुए विभिन्न विभागीय जांचों का भी हवाला दिया था। एफआईआर ने उन्होंने जिला सहकारिता पदाधिकारी के आदेशांक 443, दिनांक 08/09/2017 का जिक्र करते हुए कहा था कि निबंधक, सहयोग समितियां, रांची के पत्रांक 2247 दिनांक 08/08/2017 तथा पत्र के साथ संलग्न मंजू लता कंठ, सचिव, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (सहकारिता प्रभाग) रांची के पत्रांक 1116 दिनांक 23/05/2017, उपसचिव लोकायुक्त का कार्यालय, रांची तथा निबंधक, सहयोग समितियां रांची के पत्रांक 1830 दिनांक 28/07/2016 में संलग्न स्मिता टोप्पो, संयुक्त निबंधक, सहयोग समितियां मुख्यालय, रांची के जांच प्रतिवेदन में आरोपी पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप पर खरीक-रक्सी प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) लिमिटेड के विरुद्ध वर्ष 2009-10 में फसल बीमा की राशि मे हेराफेरी कर घोटाला करने एवं गलत ढंग से फसल बीमा करने के संदर्भ में साक्ष्य के आधार पर आपराधिक मामले बनते हैं। इससे संबंधित जांच रिपोर्ट भी प्राथमिकी के साथ पुलिस को उपलब्ध कराया गया था।
*सत्ता का धौंस जमाकर बचता रहा है आरोपी*
शिकायतकर्ता गोविंद राम दांगी का आरोप है कि आरोपी पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप पुलिस पर सत्ता का धौंस जमकर अबतक बचता आया है। क्यूंकि वह पूर्व चतरा विधायक जनार्दन पासवान का करीबी है। घोटाला जिस समय उजागर हुआ उस दौरान जनार्दन पासवान ही चतरा के विधायक थे, और चंद्रदेव गोप उनका प्रतिनिधि। इसी का धौंस जमाकर वह न सिर्फ साक्ष्य मिटाने का प्रयास करता रहा बल्कि आज भी पूर्व विधायक के संरक्षण में ही लाखों रुपये के सरकारी राशि के घोटाले का अभियुक्त होने के बाद बीबी खुलेआम घूम रहा है। ऐसे में न सिर्फ वह पुलिस और कानून व्यवस्था को खुली चुनौती पेश कर रहा है बल्कि सरकार और व्यवस्था का माखौल भी उड़ा रहा है। शिकायतकर्ता ने अधिकारियों से मामले में अविलंब कार्रवाई की मांग की है।
*जांच के नाम पर कार्रवाई से बच रही पुलिस, उठ रहे सवाल*
इस पूरे मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के करीब तीन वर्ष बीत जाने के बाद पर तमाम साक्ष्य होने के बावजूद पुलिस ने घोटालेबाज पैक्स अध्यक्ष के विरुद्ध अबतक कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में लगातार घोटालेबाजों व अपराधियों को संरक्षण देने के पुलिस पर लग रहे आरोपों से पुलिस महकमे की क्षवि धूमिल हो रही है बल्कि सरकार के नीति और सिद्धांतों पर भी सवालिया निशान खड़े बो रहे हैं। हालांकि पुलिस अधिकारी अभी भी कार्रवाई की बात कर रहे हैं। पुलिस पदाधिकारियों के अनुसार जांच पूरी होने पर दोषी पैक्स अध्यक्ष के विरुद्ध न सिर्फ कठोर कार्रवाई होगी बल्कि उसे गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जाएगा। लेकिन दूसरी ओर बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जब लोकायुक्त के निर्देश पर करीब आधा दर्जन से विभागीय अधिकारियों के नेतृत्व में गठित जांच कमेटी ने घोटाले की पुष्टि कर दी है तो फिर पुलिस कैसी जांच कर रही है। जिससे तमाम साक्ष्य होने के बाद भी आरोपी को जेल के बजाय बाहर घूमने की खुली छूट मिल रही है।
*पैक्स अध्यक्ष का घिनौना खेल, मुर्दों के नाम पर खुद गटक ली फसम बीमा की राशि*
*पैक्स कोई और बीमा हुआ कहीं और का......अब कानून से खेल रहा सह-मात का खेल....?*
*घोटाले व सरकारी राशि गबन की विभागीय पुष्टि के बाद दर्ज प्राथमिकी में भी अधिकारियों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी, अब पुलिसिया कार्यशैली पर उठ रहे सवाल....?*
*मो.अरबाज, चतरा:* हिंदी सिनेमा का चर्चित डायलॉग "बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया" इन दिनों सूबे के अतिपिछड़े आकांक्षी जिलों में शुमार चतरा में चरितार्थ हो रहा है। इस डायलॉग को सदर प्रखंड अंतर्गत खरीक-रक्सी पैक्स के अध्यक्ष चंद्रदेव गोप ने सच कर दिखाया है। चंद रुपयों के खातिर इन्होंने न सिर्फ सरकारी नियम व कानून को ताक पर रखकर गरीब किसानों को मिलने वाली राशि का बंदरबांट करते हुए बड़े पैमाने पर घोटाला किया है बल्कि पैसे के लालच में मुर्दों से भी बेईमानी की है। फसल बीमा की राशि हड़पने के नियत से इन्होंने अपने कार्यकाल में न सिर्फ फर्जीवाड़ा कर फर्जी दस्तावेजों व हस्ताक्षर से मृत व्यक्तियों के नाम पर पैक्स में खाता खोला बल्कि उनके नाम से फसल बीमा कर उसकी राशि की भी अवैध निकासी कर ली। इतने में भी उनका पेट नहीं भरा तो उन्होंने पैक्स को ही खुला दरबार बना दिया। जहां न सिर्फ बड़े पैमाने पर फर्जी तरीके से फसल बीमा किया गया बल्कि पैक्स से बाहर के लोगों का भी बीमा कर क्लेम की राशि की निकासी कर ली गई।
*बीसीओ ने कराया था जालसाजी व घोटाले का प्राथमिकी दर्ज*
मामला वर्ष 2009-10 का है। उस दौरान सदर प्रखंड अंतर्गत खरीक-रक्सी पैक्स के तत्कालीन अध्यक्ष चंद्रदेव गोप पर बड़े पैमाने पर फसल बीमा की राशि का घोटाला करने का गंभीर आरोप लगा था। ऊंटा निवासी गोविंद राम दांगी के शिकायत पर लोकायुक्त ने मामले की जांचोपरांत घोटाला पकड़ा था। जिसके बाद लोकायुक्त के निर्देश पर ही तत्कालीन प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी चंद्रशेखर प्रसाद ने सदर थाना में पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप के विरुद्ध जालसाजी कर फर्जी खाता खोलकर फसल बीमा की राशि का अवैध निकासी करने व कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) लिमिटेड के नियमों की अनदेखी कर सरकारी राशि का घोटाला करने का प्राथमिकी दर्ज कराया था।
*मृत व्यक्ति के नाम पर लिया बीमा का क्लेम*
सदर थाना में दर्ज विभागीय प्राथमिकी में बीसीओ ने पैक्स अध्यक्ष पर मृत व्यक्ति के नाम पर जालसाजी कर फसल बीमा करने व उसका क्लेम लेने का आरोप लगाया था। एफआईआर में कहा गया था कि पैक्स अध्यक्ष के द्वारा नेपनी देवी के नाम पर फसल बीमा कर क्लेम लिया गया था। जबकि नेपनी की मौत पूर्व में ही हो चूकि थी। इससे स्पष्ट होता है कि पैक्स अध्यक्ष ने निजी स्वार्थ की पूर्ति एवं विभागीय निदेशों का उलंघन किया है।
*फर्जी खाता खोल लिया क्लेम*
विभागीय एफआईआर में यह भी दर्शाया गया है कि पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप ने वर्ष 2009-10 में अनिता देवी, मारियम बेगम, शोभी यादव, सरिता देवी, उदयनाथ महतो, विराज यादव, मनिया देवी, मुनिया देवी व दीपा देवी नामक फर्जी किसानों के नाम पर पैक्स में आवश्यक दस्तावेज लिए बगैर फर्जी तरीके से खाता खोल क्लेम की राशि का भुगतान व निकासी किया गया। वहीं बलवा देवी व शम्भू दांगी समेत दर्जनों किसानों के नाम पर दो-दो बार फसल बीमा कर क्लेम ले लिया गया।
*विभागीय जांचों में हो चूकि है घोटाले की पुष्टि*
दर्ज प्राथमिकी में बीसीओ ने घोटाले को ले लोकायुक्त के निर्देश पर हुए विभिन्न विभागीय जांचों का भी हवाला दिया था। एफआईआर ने उन्होंने जिला सहकारिता पदाधिकारी के आदेशांक 443, दिनांक 08/09/2017 का जिक्र करते हुए कहा था कि निबंधक, सहयोग समितियां, रांची के पत्रांक 2247 दिनांक 08/08/2017 तथा पत्र के साथ संलग्न मंजू लता कंठ, सचिव, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (सहकारिता प्रभाग) रांची के पत्रांक 1116 दिनांक 23/05/2017, उपसचिव लोकायुक्त का कार्यालय, रांची तथा निबंधक, सहयोग समितियां रांची के पत्रांक 1830 दिनांक 28/07/2016 में संलग्न स्मिता टोप्पो, संयुक्त निबंधक, सहयोग समितियां मुख्यालय, रांची के जांच प्रतिवेदन में आरोपी पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप पर खरीक-रक्सी प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) लिमिटेड के विरुद्ध वर्ष 2009-10 में फसल बीमा की राशि मे हेराफेरी कर घोटाला करने एवं गलत ढंग से फसल बीमा करने के संदर्भ में साक्ष्य के आधार पर आपराधिक मामले बनते हैं। इससे संबंधित जांच रिपोर्ट भी प्राथमिकी के साथ पुलिस को उपलब्ध कराया गया था।
*सत्ता का धौंस जमाकर बचता रहा है आरोपी*
शिकायतकर्ता गोविंद राम दांगी का आरोप है कि आरोपी पैक्स अध्यक्ष चंद्रदेव गोप पुलिस पर सत्ता का धौंस जमकर अबतक बचता आया है। क्यूंकि वह पूर्व चतरा विधायक जनार्दन पासवान का करीबी है। घोटाला जिस समय उजागर हुआ उस दौरान जनार्दन पासवान ही चतरा के विधायक थे, और चंद्रदेव गोप उनका प्रतिनिधि। इसी का धौंस जमाकर वह न सिर्फ साक्ष्य मिटाने का प्रयास करता रहा बल्कि आज भी पूर्व विधायक के संरक्षण में ही लाखों रुपये के सरकारी राशि के घोटाले का अभियुक्त होने के बाद बीबी खुलेआम घूम रहा है। ऐसे में न सिर्फ वह पुलिस और कानून व्यवस्था को खुली चुनौती पेश कर रहा है बल्कि सरकार और व्यवस्था का माखौल भी उड़ा रहा है। शिकायतकर्ता ने अधिकारियों से मामले में अविलंब कार्रवाई की मांग की है।
*जांच के नाम पर कार्रवाई से बच रही पुलिस, उठ रहे सवाल*
इस पूरे मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के करीब तीन वर्ष बीत जाने के बाद पर तमाम साक्ष्य होने के बावजूद पुलिस ने घोटालेबाज पैक्स अध्यक्ष के विरुद्ध अबतक कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में लगातार घोटालेबाजों व अपराधियों को संरक्षण देने के पुलिस पर लग रहे आरोपों से पुलिस महकमे की क्षवि धूमिल हो रही है बल्कि सरकार के नीति और सिद्धांतों पर भी सवालिया निशान खड़े बो रहे हैं। हालांकि पुलिस अधिकारी अभी भी कार्रवाई की बात कर रहे हैं। पुलिस पदाधिकारियों के अनुसार जांच पूरी होने पर दोषी पैक्स अध्यक्ष के विरुद्ध न सिर्फ कठोर कार्रवाई होगी बल्कि उसे गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जाएगा। लेकिन दूसरी ओर बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जब लोकायुक्त के निर्देश पर करीब आधा दर्जन से विभागीय अधिकारियों के नेतृत्व में गठित जांच कमेटी ने घोटाले की पुष्टि कर दी है तो फिर पुलिस कैसी जांच कर रही है। जिससे तमाम साक्ष्य होने के बाद भी आरोपी को जेल के बजाय बाहर घूमने की खुली छूट मिल रही है।
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