*छठ महापर्व कल से, 26 को पहला अर्घ्य*
आचार्य
चेतन शर्मा के कलम से
छठ जिसे हम सूर्यषष्ठी,डालाछठ के नाम से भी जानते है हिन्दू धर्मावलंबियों का प्राचीन त्योहार है। यह त्योहार ऊर्जा के परमेश्वर ‘सूर्यदेव’ को समर्पित है। लोग अपने परिवार के सदस्यों की सभी प्रकार से कुशलता की कामना हेतु प्रत्यक्ष देवता सूर्य से प्रार्थना करते है। भगवान सूर्य सभी प्रकार के इच्छित फलों को हम सभी पृथ्वीवासी को प्रदान करते हैं,और उनसे कृतज्ञता प्रकट करने का यह महापर्व है। यह पर्व पुत्र की प्राप्ति, पति के दीर्घायु की कामना सुख समृद्धि आदि मनोकामनाएं को लेकर की जाती है।
आइये जाने यह चार दिवसीय व्रत किस दिन से प्रारम्भ हो रहा है और प्रत्येक दिन का विधान क्या है।
इस बार यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी मंगलवार से प्रारम्भ हो रहा है-
प्रथम दिवस-दिनांक 24 अक्टूबर 2017 दिन मंगलवार-पहले दिन पवित्र जल मे स्नान करके एक समय कद्दू-भात का सेवन करते हैं,जिसे अत्यंत स्वच्छता से मिट्टी या ताँबे के बर्तन में पकाया जाता है, या स्थान धर्म के अनुसार पूर्ण किया जाता है।इस दिन का सूर्योदय-06:22 एवं सूर्यास्त-05:38 पर है।
द्वितीय दिवस-25 अक्टूबर 2017 दिन बुधवार-पूरा दिन उपवास,शाम को धरा पूजन के बाद सूर्य अस्त के बाद व्रत को खोलते हैं।शाम को उपवास तोड़ने के बाद बिना पानी पीये 36 घंटे का उपवास रखा जाता है।इस दिन का सूर्योदय-06:23 बजे एवं सूर्यास्त-05:37 बजे है।
तृतीय दिवस-26-अक्टूबर-2017 दिन गुरुवार-जलाशय के किनारे संध्या को अर्घ्य देते हैं।परिवार के अन्य सदस्य भी पूजा से आशीर्वाद हेतु प्रतीक्षा करते हैं।सूर्योदय-06:24 बजे एवं सूर्यास्त-05:36 बजे है।
चतुर्थ दिवस-27 अक्टूबर-2017 दिन शुक्रवार-व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ का प्रसाद खाकर व्रत को खोलते हैं।सूर्योदय-06:24 बजे है।
आचार्य
चेतन शर्मा
जन्मकुंडली, वास्तु व कर्मकाण्ड परामर्श
आचार्य
चेतन शर्मा के कलम से
छठ जिसे हम सूर्यषष्ठी,डालाछठ के नाम से भी जानते है हिन्दू धर्मावलंबियों का प्राचीन त्योहार है। यह त्योहार ऊर्जा के परमेश्वर ‘सूर्यदेव’ को समर्पित है। लोग अपने परिवार के सदस्यों की सभी प्रकार से कुशलता की कामना हेतु प्रत्यक्ष देवता सूर्य से प्रार्थना करते है। भगवान सूर्य सभी प्रकार के इच्छित फलों को हम सभी पृथ्वीवासी को प्रदान करते हैं,और उनसे कृतज्ञता प्रकट करने का यह महापर्व है। यह पर्व पुत्र की प्राप्ति, पति के दीर्घायु की कामना सुख समृद्धि आदि मनोकामनाएं को लेकर की जाती है।
आइये जाने यह चार दिवसीय व्रत किस दिन से प्रारम्भ हो रहा है और प्रत्येक दिन का विधान क्या है।
इस बार यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी मंगलवार से प्रारम्भ हो रहा है-
प्रथम दिवस-दिनांक 24 अक्टूबर 2017 दिन मंगलवार-पहले दिन पवित्र जल मे स्नान करके एक समय कद्दू-भात का सेवन करते हैं,जिसे अत्यंत स्वच्छता से मिट्टी या ताँबे के बर्तन में पकाया जाता है, या स्थान धर्म के अनुसार पूर्ण किया जाता है।इस दिन का सूर्योदय-06:22 एवं सूर्यास्त-05:38 पर है।
द्वितीय दिवस-25 अक्टूबर 2017 दिन बुधवार-पूरा दिन उपवास,शाम को धरा पूजन के बाद सूर्य अस्त के बाद व्रत को खोलते हैं।शाम को उपवास तोड़ने के बाद बिना पानी पीये 36 घंटे का उपवास रखा जाता है।इस दिन का सूर्योदय-06:23 बजे एवं सूर्यास्त-05:37 बजे है।
तृतीय दिवस-26-अक्टूबर-2017 दिन गुरुवार-जलाशय के किनारे संध्या को अर्घ्य देते हैं।परिवार के अन्य सदस्य भी पूजा से आशीर्वाद हेतु प्रतीक्षा करते हैं।सूर्योदय-06:24 बजे एवं सूर्यास्त-05:36 बजे है।
चतुर्थ दिवस-27 अक्टूबर-2017 दिन शुक्रवार-व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ का प्रसाद खाकर व्रत को खोलते हैं।सूर्योदय-06:24 बजे है।
आचार्य
चेतन शर्मा
जन्मकुंडली, वास्तु व कर्मकाण्ड परामर्श
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