रांची। जनता दल यूनाइटेड (जदयू)और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के चुनाव चिह्न को लेकर आमने-सामने हो गया है ।आपको बता देगी कुछ दिन पहले जदयू बिहार राज में लोकसभा चुनाव के समय जेएमएम का चुनाव चिन्ह तीर धनुष पर आपत्ती जताया था ।जिसके कारण जेएमएम बिहार राज्य में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाया था।इसी के प्रतिशोध में जेएमएम ने झारखंड से जदयू पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर पर प्रतिबंध की मांग किया था, जिस पर चुनाव आयोग ने जदयू का झारखंड में चुनाव चिन्ह हल चलाता हुआ ट्रैक्टर आवंटित किया। इस घटना के बाद जदयू पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने सोमवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कहा कि झारखंड का आदिवासी समाज तीर-धनुष या तीर का प्रयोग अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अवसर पर पारंपरिक रूप से करता रहा है। तीर-धनुष आदिवासियों की मूल जनभावना एवं जीवन जीने की पद्धति का पूर्ण आधार है।
इससे आदिवासी समाज का भावनात्मक रूप से घनिष्ठ संबंध रहता है। इस कारण झामुमो को चुनाव में इसका लाभ मिल जाता है ।जो कि आम चुनाव की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक भावना पर प्रश्न चिह्न लगा देता है। जदयू के अनुसार, झारखंड में आदिवासियों की आबादी अधिक होने के कारण विधानसभा में 28 तथा लोकसभा में पांच सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। ऐसी स्थिति में तीर-धनुष चुनाव चिह्न पर प्रतिबंध निश्चित रूप से लगना चाहिए।
पार्टी ने झामुमो के विरोध पर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा झारखंड में जदयू के चुनाव चिह्न तीर पर प्रतिबंध लगने तथा उसकी जगह नए चुनाव चिह्न टै्रक्टर चलाता हुआ किसान आवंटित किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि झामुमो के लिए भी चुनाव आयोग ,नया चुनाव चिह्न आवंटित कर सकता है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने जदयू की मांगों को भारत निर्वाचन आयोग को भेजने का आश्वासन दिया।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने इस ज्ञापन की कॉपी भारत निर्वाचन आयोग को भी भेजी है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में पार्टी नेता श्रवण कुमार, कृष्णानंद मिश्रा, प्रेम कटारूका, मनोज सिन्हा आदि भी उपस्थित थे।
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