पारा चढ़ा,गर्मी से मचा हाहाकार,बढ़ा जल संकट

पारा चढ़ा,गर्मी से मचा हाहाकार,बढ़ा जल संकट
सूखा कुँआ
पारा चढ़ा,गर्मी से मचा हाहाकार,बढ़ा जल संकट 


चतरा : जैसे-जैसे गर्मी की तपिश बढ़ रही है, वैसे-वैसे शहर में पानी और बिजली का संकट भी बढ़ता जा रहा है। करोड़ों खर्च के बाद भी शहर की बिजली और पानी की स्थिति में सुधार नहीं हुई है। लोग पानी और बिजली के लिए त्रस्त हैं। बिजली की आंखमिचौली और लो-वोल्टेज समस्या को और विकराल रूप दे रहा है। शहर के लोगो मे हाहाकार मचा हुआ हैं, लेकिन उसके बाद भी जनप्रतिनिधि और अधिकारी सजग नहीं है। सरकार ने 22 घंटे बिजली देने की घोषणा कर रही है और जिला मुख्यालय में दस से बारह घंटा भी नियमित बिजली नहीं है। उसके बाद भी अधिकारियों को इसकी ¨चता नहीं है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपयों की राशि खर्च की जाती है। लेकिन दुखद यह है कि गर्मी का महीना जैसे दस्तक देता है, वैसे ही जिले में पानी और बिजली की समस्या उत्पन्न होने लगती है।
पानी और बिजली यहां की बड़ी समस्या है। गर्मी के दिनों में तेज हवा चलने पर बिजली में फाल्ट आ जाती है और वह फॉल्ट 24 एवं 36 घंटों से पहले ठीक नहीं होता है। गत वर्ष बिजली लाइन मेंटेनेंस के नाम पर करीब 56 लाख रुपये खर्च हुए हैं। लेकिन उसके बाद भी स्थिति यथावत है। पिछले सप्ताह तेज हवा के कारण पंद्रह घंटा से अधिक समय तक बिजली व्यवस्था बाधित रही थी। इधर पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता आशुतोष कुमार कहना है कि वाटर फील्टर को पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। इस कारण जलापूर्ति में दिक्कतें हो रही है। उनका कहना है कि इस समस्या से डीसी एवं अन्य वरीय अधिकारियों को अवगत करा दिया हूं। जब तक बिजली पर्याप्त नहीं मिलेगी, तब तक पानी नियमित नहीं मिल सकता है। वहीं विद्युत आपूर्ति प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार मिश्रा का कहना है कि गर्मी के दिनों में बिजली का खपत बढ़ जाता है। जिले को करीब 50 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है। लेकिन बीस से पचीय ही मेगावाट मिल रहा है। उनका कहना है कि व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है।
विभाग ने खड़े किए हाथ, जलापूर्ति योजना पर लगा ग्रहण
पत्थलगडा : पत्थगडा की महत्वकांक्षी जलापूर्ति योजना पर नजर लग गई है। 11 करोड़ की इस योजना का लाभ अब तक प्रखंड के लोगों को नहीं मिला है। बल्कि यह कहें कि जलापूर्ति योजना सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर रह गई है। योजना को लेकर चंद ग्रामीणों ने विरोध क्या किया, पेयजल एवं स्वच्दता प्रमंडल ने योजना से हाथ ही ¨खच लिया है। जल मीनार के निर्माण के बाद लोगों में एक नई उम्मीद जगी थी कि पानी की समस्या से दो-चार नहीं होना पड़ेगा। पानी के लिए ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर कनेक्शन भी लिया और रुपये भी अदा कर दिए, लेकिन सब कुछ धरा के धरा रह गया। जैसे-जैसे गर्मी की तपिश बढ़ रही है, यहां पानी की समस्या विकट होते जा रही है। लोग पीने के पानी को लेकर परेशान हो रहे हैं। नदी, ताल, तलैया कब के सूख चुके हैं। कुओं का जलस्तर पताल चला गया है। हैंडपंप एकाध बाल्टी पानी देने के बाद हाफ रहे हैं। 

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