इंदुमती टिबड़ेवाल में एक दिवसीय विभाग स्तरीय शोध गोष्ठी का आयोजन


चतरा: - विद्या
विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय विभाग स्तरीय शोध गोष्ठी का आयोजन स्थानीय इंदुमति टिबड़ेवाल विद्यालय के असेम्बली हॉल में प्रांतीय शोध प्रमुख माननीय श्री अमरकांत झा आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज रांची के प्राध्यापक श्री हरीश कुमार  पांडेय  जमशेदपुर विभाग के विभाग निरीक्षक सह क्षेत्रीय खेलकूद प्रमुख श्री मोतीलाल अग्रवाल, विद्यालय प्रबन्ध- कारिणी समिति के माननीय सचिव श्री मुकेश साह विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के सह सचिव व चतरा कॉलेज, चतरा के अंगेज़ी विषय केव्यख्याता मनीष दयाल, एस वी एम टीचर्स कॉलेज, हजारीबाग के अर्थशास्त्र विषय के व्यख्याता मृत्युंजय कुमार सिंह, स्थानीय विद्यालय के प्राचार्य श्री पवन कुमार दास के द्वारा संयुक्त रूप से माँ सरस्वती की तस्वीर पर दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर चतरा संकुल के सभी प्रधानाचार्य एवं सचिव उपस्थित रहे। तत्पश्चात अतिथि परिचय प्राचार्य माननीय श्री पवन कुमार दास जी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया। कार्यक्रम के पहले सत्र में प्रांतीय शोध प्रमुख श्री अमरकांत झा कार्यक्रम के क्रियात्मक शोध के प्रस्तवना में इनके सभी पहलुओं को विस्तृत रूप से बताते हुए कहा कि विद्यालय तथा कक्षा- कक्ष में भैया- बहनों की विभिन्न समस्याओं का समाधान के निष्पादन के लिए विद्या भारती द्वारा बनाये गए। चार आयामों में चौथा आयाम क्रियात्मक अनुसंधान है जिसका उपयोग समाज एवं शैक्षिक जगत में वृहद रूप से किया जाता है। स्थानीय विद्यालय के आचार्य श्री अयोध्या प्रसाद जी ने कहा कि आचार्य भैया-बहनों की विभिन्न समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक ढंग से करे तो क्रियात्मक अनुसंधान सार्थक होगा। मृत्युंजय कुमार सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्पस्ट किया कि अनुसंधान उपाधि के लिए नही अपितु हमारे कार्यप्रणाली, आचार-विचार में सुधार के लिए है। साथ ही इन्होंने भारतीय शिक्षा पद्धति  की तुलना दुनिया के विकसित देशों से करते हुए आगे कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार की संभावना है। सरस्वती विद्या मंदिर, कुम्हारटोली, हजारीबाग के आचार्य श्री प्रदीप कु सिन्हा ने क्रियात्मक शोध के बारे में बताया कि किसी चीज़ को फिर से जानना या खोज करना ही क्रियात्मक अनुसंधान है लेकिन इसके लिए सर्वप्रथम हमे समस्या की पहचान व उनका सीमांकन करना होगा। शोध गोष्ठी को संबोधित करते हुए कुदुलम, राँची से आये आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के प्राध्यापक श्री हरीश पांडेय जी ने कार्यक्रम के पहले सत्र में क्रियात्मक अनुसंधान की सैद्धान्तिक व्याख्या प्रस्तुत की और शोध व संसाधन के वृत की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा अपने दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान के द्वारा हम अपनी शिक्षण प्रकिया को बेहतर बना सकते है। कार्यक्रम के पहले सत्र के अंत मे विद्यालय के सह सचिव डॉ.मनीष दयाल जी ने अपने उदबोधन में कहा कि सवेंदना से ही एकाग्रता आती है और विषय वस्तु की समझ बनती हैं साथ ही फंडामेंटल और एक्शन रिसर्च व ओरियंटेड रिसर्च तैयार करने के मेथड के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में माननीय श्री हरीश पांडेय जी ने व्यवहारिक ज्ञान और अनुभवों को साझा करते हुए शिक्षण अधिगम ,सोपानऔर उनके प्रकार की जानकारी दी और अंत मे उपस्थित बुद्धिजीवियों द्वारा पूछे गए कई अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर भी दिए। इस कार्यक्रम में स्थानीय,संकुल से आये अधिकांश आचार्यो ने हिस्सा लिया और शोध की दिशा में कार्य करने हेतु महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की मंच संचालन डॉ.उदय पांडेय ने किया।

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