चतरा :जिले
के विभिन्न स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों में रविवार को स्वामी विवेकानंद की 157वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। इस मौके पर युवाओं ने स्वामी जी के आदर्शो व पदचिन्हों पर चलकर राष्ट्र निर्माण को लेकर हर संभव पहल करने का संकल्प लिया। इससे पूर्व स्कूलों व शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा स्वामी विवेकानंद के चित्र के समक्ष माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात वक्ताओं ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को स्वामी विवेकानंद के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प दिलाया। वक्ताओं ने कहा कि आज युवाओं में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश माना जाता है। अगर युवा स्वामी विवेकानंद के बताए मार्गो पर चले, तो भारत आज भी विश्वगुरु के पद पर सुशोभित हो सकते है। विवेकानंद भारतीय दर्शन संस्कृति तथा सनातन धर्म के प्रतीक थे। उन्होंने युवा वर्ग में सन 1893 ई में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर संपूर्ण विश्व मे धर्म तथा संस्कृति का लोहा मनवाया। विवेकानंद भारत के ही नहीं पूरी दुनिया के लिए आदर्श हैं। आज देश के समक्ष असंख्य समस्याएं हैं, जिन्हें युवा ही सुलझा सकते हैं। वक्ताओं ने कहा कि विवेकानंद से प्रेरणा लेकर विद्यार्थियों को चरित्र निर्माण करना चाहिए। क्योंकि महापुरुषों के चरित्र से हम सबकुछ सीख सकते हैं। विवेकानंद जी ने कहा था उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो सके। वक्ताओं ने सभी बच्चों को स्वामी विवेकानंद के आदर्शो पर चलने की बजाय कही। वही बच्चों ने भी स्वामी विवेकानंद के आदर्शो पर चलने का संकल्प लिया। स्थानीय विवेकानंद आदर्श विद्यालय में भाषण प्रतियोगिता, चित्रांकन प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत बत
के विभिन्न स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों में रविवार को स्वामी विवेकानंद की 157वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। इस मौके पर युवाओं ने स्वामी जी के आदर्शो व पदचिन्हों पर चलकर राष्ट्र निर्माण को लेकर हर संभव पहल करने का संकल्प लिया। इससे पूर्व स्कूलों व शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा स्वामी विवेकानंद के चित्र के समक्ष माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात वक्ताओं ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को स्वामी विवेकानंद के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प दिलाया। वक्ताओं ने कहा कि आज युवाओं में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश माना जाता है। अगर युवा स्वामी विवेकानंद के बताए मार्गो पर चले, तो भारत आज भी विश्वगुरु के पद पर सुशोभित हो सकते है। विवेकानंद भारतीय दर्शन संस्कृति तथा सनातन धर्म के प्रतीक थे। उन्होंने युवा वर्ग में सन 1893 ई में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर संपूर्ण विश्व मे धर्म तथा संस्कृति का लोहा मनवाया। विवेकानंद भारत के ही नहीं पूरी दुनिया के लिए आदर्श हैं। आज देश के समक्ष असंख्य समस्याएं हैं, जिन्हें युवा ही सुलझा सकते हैं। वक्ताओं ने कहा कि विवेकानंद से प्रेरणा लेकर विद्यार्थियों को चरित्र निर्माण करना चाहिए। क्योंकि महापुरुषों के चरित्र से हम सबकुछ सीख सकते हैं। विवेकानंद जी ने कहा था उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो सके। वक्ताओं ने सभी बच्चों को स्वामी विवेकानंद के आदर्शो पर चलने की बजाय कही। वही बच्चों ने भी स्वामी विवेकानंद के आदर्शो पर चलने का संकल्प लिया। स्थानीय विवेकानंद आदर्श विद्यालय में भाषण प्रतियोगिता, चित्रांकन प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत बत
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