NTPC प्लांट में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति से बिफरे थे रैयत, हिंसक झड़प में 27 जवान घायल ,पुलिस की सख्ती से नाराज रैयतों ने फूंक डाले थे आधा दर्जन ट्रक व बाईक, करोड़ो का नुकसान

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ब्रेकिंग न्यूज़:रैयतों व पुलिस के बीच हुई झड़प को लेकर जदयू नेता मुकेश कुमार यादव ने दुःख व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या को बैठकर सलटाया जाता ●रैयतों व पुलिस के बीच झड़प में कई वाहनों को किया गया आग के हवाले●नमन बुद्धा बोर्डिंग स्कूल के संचालक स्कूल खुलने की खुशी में बच्चों को गुलदस्ता देकर स्वगात किये●जदयू नेता मुकेश कुमार यादव के द्वारा टंडवा में हुई मनरेगा घोटाला मामले को लेकर चतरा उपायुक्त से करेंगे शिकायत◆ हंटरगंज में शराब से भरा आटो जप्त

NTPC प्लांट में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति से बिफरे थे रैयत, हिंसक झड़प में 27 जवान घायल ,पुलिस की सख्ती से नाराज रैयतों ने फूंक डाले थे आधा दर्जन ट्रक व बाईक, करोड़ो का नुकसान

चतरा । विगत 14 माह से 3 सूत्री मांगों के समर्थन में टंडवा में संचालित एनटीपीसी के आंदोलित रैयतों के आक्रोश ने आज उस समय एकाएक उग्र रूप धारण कर लिया जब प्लांट में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति की जा रही थी। प्लांट संचालन को लेकर एनटीपीसी कर्मियों द्वारा तेल की आपूर्ति परिसर में किए जाने से नाराज रैयत आक्रोशित हो उठे और जमकर हंगामा करने लगे। हंगामा होता देख मौके प्लांट की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के जवान उन्हें शांत कराने पहुंचे। जिसके बाद आक्रोशित रैयत आग बबूला हो उठे। देखते ही देखते मामला इतना बिगड़ गया कि महीनों से शांत पड़ा एनटीपीसी परिसर रण क्षेत्र में तब्दील हो गया। जिसके बाद घटना की सूचना पाकर स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को पुनः शांत कराने का प्रयास करने लगी। लेकिन आक्रोशित भीड़ के सामने उनकी एक नहीं चली। जिसके बाद मामला बनने के बजाय और बिगड़ गया। आक्रोशित भीड़ में शामिल लोगों ने सुरक्षाबलों पर पथराव शुरू कर दिया। पथराव शुरू होते हैं कुछ देर के लिए परियोजना परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर मौजूद सीआईएसएफ और पुलिस के जवान खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। कुछ देर बाद जब मामला शांत नहीं हुआ तो पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों ने भी आत्मरक्षार्थ आंसू गैस के गोले दागते हुए मौके से रैयतो और ग्रामीणों को खदेड़ दिया। ग्रामीण सह रैयतों और सुरक्षा बलों के बीच हुए इस हिंसक झड़प में 27 पुलिसकर्मी घायल हो गए। जिनमें 7 जवानों की गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए रांची रेफर कर दिया है। वहीं अन्य घायल जवानों का इलाज स्थानीय अस्पताल में किया जा रहा है। पुलिस के अनुसार आंदोलन की आड़ में चंद असामाजिक तत्वों और शांति विरोधी लोगों ने ग्रामीणों और रैयतों के आड़ में पुलिस पर पथराव व जवानों पर जानलेवा हमला किया है। जिसमें प्लांट की सुरक्षा में तैनात पुलिस और सीआईएसएफ के जवान घायल हुए हैं। घटना के बाद जिला मुख्यालय से सुरक्षाबलों के अतिरिक्त 2 कड़ियां भेजकर पूरे एनटीपीसी परियोजना परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। वही आंदोलन के आड़ में सुरक्षाबलों को टारगेट करने वाले आंदोलनकारियों को भी मौके से खदेड़ दिया गया है। हालांकि इस दौरान पुलिसिया कार्रवाई से नाराज रैयतों ने मौके पर खड़ी आधा दर्जन से अधिक हाईवा, ट्रक व मोटरसाइकिल को फूंक दिया। जिससे करो रुपए का नुकसान हुआ है। घटना के बाद पुलिस दोषियों के धरपकड़ में जुट गई है। आंदोलन के आड़ में घटना को अंजाम देने वाले लोगों की गिरफ्तारी को लेकर छापामारी अभियान तेज कर दिया गया है। डीआईजी, डीसी व एसपी ने लिया जायजा, सख्त कार्रवाई के निर्देश इधर घटना की सूचना पाकर हजारीबाग प्रक्षेत्र के डीआईजी नरेंद्र कुमार सिंह, डीसी अंजलि यादव, एसपी राकेश रंजन, चतरा एसडीपीओ अविनाश कुमार व टंडवा एसडीपीओ शम्भू सिंह दल बल के साथ मौके पर पहुंचे और घटना स्थल का जायजा लिया। इस दौरान अधिकारियों ने एनटीपीसी परियोजना के अधिकारियों व कर्मियों के अलावा मौके पर मौजूद सुरक्षाबलों से घटना की संपूर्ण जानकारी ली। जिसके बाद डीआईजी ने घटना में शामिल शांति विरोधी लोगों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। डीआईजी ने कहा कि अपने अधिकारों को लेकर आंदोलन का इजाजत सभी को है। लेकिन आंदोलन के आड़ में कानून तोड़ने की इजाजत किसी भी परिस्थिति में किसी को नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा है कि प्लांट में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति हो रही थी। जिसके बाद रैयतों ने हंगामा शुरू कर दिया। इतना ही नहीं सुरक्षाबलों को टारगेट करते हुए पथराव कर गाड़ियों में आग लगा दी। रैयतों का यह कानून व शांति विरोधी कार्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने एसपी व अन्य अधिकारियों को दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कौन है हिंसक आंदोलन का नेतृत्वकर्ता, किसका मिल रहा संरक्षण टंडवा के एनटीपीसी कार्यालय परिसर में पुलिस और रैयतों के बीच हुए हिंसक झड़प ने कई सुलगते सवालों को जन्म दे दिया है। सवालिया है कि आखिर कौन कर रहा है हिंसक आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहे है। क्योंकि यह पहला मौका नहीं है जब आंदोलनकारियों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाया है। इससे पूर्व भी परियोजना परिसर का निरीक्षण करने पहुंची इंजीनियरों की टीम पर जानलेवा हमला किया गया था। उस दौरान भी मामला गंभीर होने के बावजूद उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। लेकिन जब अब पानी सर से ऊपर जा चुका है। तब प्रशासन दोषियों के विरुद्ध अब भी कार्रवाई करता है या नहीं यह आने वाला समय ही बताएगा..? लेकिन एक बात स्पष्ट है कि अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो इससे ना सिर्फ सुरक्षाबलों का मनोबल टूटेगा, बल्कि आंदोलन की आड़ में हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा। अधिकारी कर रहे मौके पर कैंप, छावनी में तब्दील हुआ ईलाका। ग्रामीणों और पुलिस के बीच इन सब की झड़प के बाद एसपी राकेश रंजन के निर्देश पर चतरा एसडीपीओ अविनाश कुमार और टंडवा एसडीपीओ शंभू कुमार सिंह दल बल के साथ मौके पर कैंप कर रहे हैं। इसके अलावा परिस्थिति को देखते हुए एनटीपीसी परिसर के साथ-साथ पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दी गई है। जिसमें पुलिस लाइन के अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। अधिकारियों ने हर संभावित गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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