चतरा/टंडवा:- राज्य सरकार द्वारा गहरी जलाशय परियोजना में अधिग्रहित भूमि को वापस करने की घोषणा से भू रैयतों में हर्ष। पहला मौका है जब सरकार ने अधिग्रहीत की गई जमीन को रैयतों को वापस देने का निर्णय किया है। ज्ञात हो कि संयुक्त बिहार में वर्ष 1999 में थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए गरही जलाशय योजना के निर्माण का फैसला लिया गया था। इस योजना के तहत डूब क्षेत्र एवं पुनर्वास स्थल के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की गई थी। लेकिन एनटीपीसी ने भू-अर्जन और जलाशय निर्माण के लिए राशि नहीं दी। जिसके कारण गरही जलाशय का निर्माण कार्य बंद हो गया। गरही जलाशय योजना की उपयोगिता पावर प्लांट के लिए थी। उक्त जलाशय परियोजना में सरकार द्वारा चतरा जिले के विभिन्न गांवो से 974.4157 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी। जो अब भूरैयतों को वापस किया जाना है। चतरा जिले के राहम में 327.61 एकड़, नईपारम में 218.65 एकड़, उत्तरराठी में 60.8925 एकड़, लरंगा में 12.51 एकड़, दुंदुआ गांव 196.56 एकड़, टंडवा में 36.39 एकड़, लारंग में 76.805 एकड़ भूमि शामिल है। भूरैयतों द्वारा भूमि वापस करने को लेकर काफी आंदोलन चलाया गया था। जिसका परिणाम है कि सरकार को भूमि वापस करना पड़ रहा है।
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गहरी जलाशय में अधिग्रहित भूमि भूरैयतों को करेगी वापस
चतरा/टंडवा:- राज्य सरकार द्वारा गहरी जलाशय परियोजना में अधिग्रहित भूमि को वापस करने की घोषणा से भू रैयतों में हर्ष। पहला मौका है जब सरकार ने अधिग्रहीत की गई जमीन को रैयतों को वापस देने का निर्णय किया है। ज्ञात हो कि संयुक्त बिहार में वर्ष 1999 में थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए गरही जलाशय योजना के निर्माण का फैसला लिया गया था। इस योजना के तहत डूब क्षेत्र एवं पुनर्वास स्थल के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की गई थी। लेकिन एनटीपीसी ने भू-अर्जन और जलाशय निर्माण के लिए राशि नहीं दी। जिसके कारण गरही जलाशय का निर्माण कार्य बंद हो गया। गरही जलाशय योजना की उपयोगिता पावर प्लांट के लिए थी। उक्त जलाशय परियोजना में सरकार द्वारा चतरा जिले के विभिन्न गांवो से 974.4157 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी। जो अब भूरैयतों को वापस किया जाना है। चतरा जिले के राहम में 327.61 एकड़, नईपारम में 218.65 एकड़, उत्तरराठी में 60.8925 एकड़, लरंगा में 12.51 एकड़, दुंदुआ गांव 196.56 एकड़, टंडवा में 36.39 एकड़, लारंग में 76.805 एकड़ भूमि शामिल है। भूरैयतों द्वारा भूमि वापस करने को लेकर काफी आंदोलन चलाया गया था। जिसका परिणाम है कि सरकार को भूमि वापस करना पड़ रहा है।
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