अफीम माफिया जंगलो में करते हैं अफीम की खेती



            जंगलों में करते है अफीम की खेती


चतरा:-जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अफीम माफिया जंगलो में अफीम की खेती करते है।इसके लिए वन विभाग भी कम दोषिवार नही है।सबसे बड़ी बात यह है कि वन विभाग के कर्मचारी नक्सलियों के डर से जंगल के बीहड़ में नही जाते हैं।इस जिले में पिछले कई वर्षों से अफीम की खेती क्या जा रहा है।







जंगल में तैयार किया गया अफीम की खेत
जंगल में तैयार किया गया अफीम की खेत

                             
 थाना प्रभारी व वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को बता रहे हैं अफीम से नुकसान


प्रतापपुर थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवो के वन विभाग के भूमि पर अवैद्ध रूप से अफीम की खेती युद्ध स्तर पर तस्करों द्वारा शुरू कर दिया गया है। जबकि पुलिस प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों द्वारा इस बार अफीम की खेती को रोकने को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों के साथ लगातार बैठक कर अफीम की खेती किसी भी सूरत में नहीं करने की सलाह दे रहे हैं। इसी कड़ी में प्रतापपुर थाना प्रभारी गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक कर अफीम की खेती नहीं करने, अफीम से होने वाले नुकसान पर प्रकाश डालते हुए लोगों से अफीम की खेती नहीं करने का आग्रह किया। जबकि इसी थाना क्षेत्र के कोलमालहन गांव के वन विभाग के भूमि पर लगभग 10 एकड़ में अफीम की बीज की बुआई हो चुकी है। इसके अलावा ,लावालौंग, कुंदा, चतरा वन प्रमंडल के उत्तरी व दक्षिणी ,हंटरगंज वन क्षेत्र के


अफीम के पेड़ का फाइल फोटो
अफीम के पेड़ का फाइल फोटो
कई गांवों के जंगलों एवं रैयती भूमि पर बुआई शुरू है। इतना समय रहते अफीम की खेती को नहीं रोका गया तो बीते साल की अपेक्षा इस बार भी अफीम की खेती अबाध गति से लगाने की पूरी तैयारी हो रही है। अब तो आने वाला समय ही बतायेगा कि अफीम की खेती रोक पाने में प्रशासन कितना सक्षम हो पाता है।

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